होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है | होली का त्योहार | होली निबंध |होली दहन कब है 2022? होलिका दहन शुभ मुहूर्त 2022 ?
होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है | होली का त्योहार| होली निबंध
धार्मिक कथा के अनुसार-
भगवान शंकर जी और माता पार्वती यह संबंधित रूप में एक धार्मिक कथा के अनुसार मान्यता है कि हिमालय पुत्री माता पार्वती अपनी शादी भगवान शिव के साथ करना चाहती थी लेकिन भगवान शिव अपनी आराधना में पूरी तरह से लग्न थे। भगवान कामदेव ने माता पार्वती की सहायता करने के लिए आए और भगवान कामदेव अपनी पुष्प बाण से भगवान शंकर की तपस्या को भंग किया भगवान शिवजी को बहुत क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खुली और भगवान कामदेव को भस्म कर दिया। उनकी क्रोध से भगवान कामदेव का शरीर भस्म हो गया। भोलेनाथ शंकर भगवान ने माता पार्वती देवी को देखा और माता की आराधना सफल हुई। भगवान शंकर भोलेनाथ जी ने माता पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया, इस धार्मिक कथा के आधार पर होली के आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकात्मक रूप में जलाकर सच्ची प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है।
एक अन्य कथा के आधार पर भगवान कामदेव के भस्म हो जाने पर कामदेव की पत्नी माता रति ने विवाह किया और भगवान शंकर जी से प्रार्थना की हमारे पति भगवान कामदेव को जीवित करें और भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की हे प्रभु मेरे पति को जीवित कर दो भगवान भोलेनाथ का त्यों स्वीकार कर ली और भगवान कामदेव को पुनः जीवित कर दिया। यह दिन होली का दिन होता है आज भगवान कामदेव की पत्नी रति के विलाप को लोक संगीत के रूप में मनाया जाता है और चंदन की लकड़ी का अग्नि दान किया जाता है ताकि भगवान कामदेव को भस्म होने से पीड़ा ना हो सातवीं भगवान कामदेव के जीवित होने की खुशी में रंगों का त्योहार मनाया जाता है।
प्रहलाद और होलिका की कथा-
होली का त्योहार प्रहलाद और होलिका की कथा से जुड़ा। विष्णु पुराण की कथा के अनुसार प्रहलाद के पिता दत्तराज हिरण्यकश्यप ने तपस्या करके देवताओं को खुश करके देवताओं से वरदान प्राप्त कर लिया पहलाद ने देवताओं से भर मागा की मैं तो ना कुछ भी तो मरूंगा ना आकाश में मरू ना पाताल में ना अग्नि से ना शास्त्र से ना शस्त्र से ना मानव से ना पशु से मेरी मृत्यु हो, वह इस वर को देवताओं से प्राप्त कर लिया वह स्वयं को अमर समझने लगा वह नास्टिक और निरंकुश हो गया। वह चाहता था कि उसका पुत्र भगवान नारायण की आराधना करें भगवान नारायण की आराधना करना छोड़ दें परंतु पहलाद इस बात के लिए तैयार नहीं था। हिरण्यश्यप ने अपने बेटे पहला पहलाद को प्रमाणित किया लेकिन वह इस बात को नहीं माना वह हर बार बच निकला। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका थी। होलिका को यह वरदान प्राप्त था की आग में नहीं जलती थी अतः उसने अपनी बहन फुल्का को आदेश दिया कि पहलाद को अपने साथ आग में प्रवेश कर जाए ताकि पहलाद की जलकर मृत्यु हो जाए। जब हरिण्कश्यप की बहन होलिका ने अपना मन बनाया की पहलाद को लेकर आग में खोजने के लिए तब भगवान भक्त पहलाद आग में ले जाने का प्रयत्न किया तो भगवान की कृपा से होलिका का वरदान खत्म हो गया वह आग में जलकर खत्म हो गई और पहलाद का बाल बांका नहीं हुआ इस घटना की याद में होलिका चलाते हैं और उसके अंत की खुशी में होली का पर्व मनाते हैं।
होली दहन कब है 2022? होलिका दहन शुभ मुहूर्त 2022 ?
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि- 17 मार्च की दोपहर 01 बजकर 29 मिनट से शुरू हो जाएगी और समापन 18 मार्च को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर होगी।
होलिका दहन 17 मार्च, गुरुवार की रात 01 बजकर 12 बजे तक रहेगी।6 घंटे पहले
होली 2022 (पंजाब)
शनिवार, 19 मार्च
सार्वजनिक छुट्टी की तारीख:
शुक्रवार, 18 मार्च
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