हनुमान चालीसा ।। Hanuman Chalisa PDF ।।हनुमान चालीसा हिंदी में ।। हनुमान चालीसा लिखित में ।।11 बार हनुमान चालीसा ।।Hanuman Chalisa - Verse by Tulsidas
हनुमान चालीसा ।। Hanuman Chalisa PDF ।।हनुमान चालीसा हिंदी में ।। हनुमान चालीसा लिखित में ।।11 बार हनुमान चालीसा ।।Hanuman Chalisa - Verse by Tulsidas
।। दोहा।।
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारी।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन - कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं , हरहु कलेश विकार।।
।। चौपाई।।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दत अतुलित बल धामा।
अंजनी पुत्र पवनसुत नामा।।
महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन वरण विराज सबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र और ध्वजा बिराजे।
कांधे मूंज जनेऊ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन ।।
विद्यावान गुणी अति चतुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
रामचरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रुप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र जी के काज संवारे ।।
लाय संजीवन लखन जियाये ।
श्री रघुवीर हरषि उर लाये।।
रघुपति किन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो यस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ।।
यम कुबेर दिगपाल जहां ते ।
कवि कोविद कहि सके कहां ते ।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हां ।
राम मिलाय राजपद दीन्हा ।।
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ।।
युग सहस्त्र योजन पर भानू ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लांघि गए अचरज नाहीं ।।
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।।
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनू पैसारे ।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ।।
आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हांक ते कांपै ।।
भूत पिशाच निकट नहिं आवे ।
महावीर जब नाम सुनावै ।।
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।
संकट ते हनुमान छुड़ावै ।।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ।।
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ।।
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोइ अमित जीवन फल पावै ।।
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्धू जगत उजियारा ।।
साधु संत के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ।।
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता ।
अस वर दीन जानकी माता ।।
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ।।
तुम्हारे भजन राम को पावैं ।
जनम जनम के दुख बिसरावैं ।।
अंत काल रघुबरपुर जाई ।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई ।।
और देवता चित्त न धरई ।
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ।।
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ।।
जो सत बार पाठ कर कोई ।
झूटहिं बंदी महासुख होई ।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ।।
तुलसीदास सदां हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा ।।
।। दोहा ।।
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।
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